🔷 भूमिका
चीन के तिआंजिन शहर में हुई SCO (Shanghai Cooperation Organization) की विदेश मंत्रियों की बैठक ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। बैठक में जहां आतंकवाद, ऊर्जा सहयोग और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा हुई, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस पर आयात शुल्क लगाने की धमकी ने हलचल मचा दी।
इस धमकी का जवाब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) ने बेहद कड़े शब्दों में दिया। साथ ही SCO देशों ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम का समर्थन दोहराकर एक सामूहिक वैश्विक संदेश भी दिया।
🟥 ट्रंप की धमकी: रूस पर 100% टैरिफ लगाने की चेतावनी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के संभावित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान में कहा कि यदि रूस ने अगले 50 दिनों के भीतर यूक्रेन को लेकर कोई समाधान नहीं निकाला, तो वे रूस और उसके व्यापारिक सहयोगियों पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क (import tariff) लगाएंगे।
ट्रंप का यह बयान अमेरिकी व्यापारिक नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नया विवाद खड़ा कर रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और रूस के बीच पहले से ही रिश्ते तनावपूर्ण हैं।
🟩 लावरोव का जवाब: “हमें फर्क नहीं पड़ता”
SCO विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सर्गेई लावरोव ने कहा:
“हम पहले से ही अभूतपूर्व प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं। फिर भी रूस मजबूती से खड़ा है। ट्रंप की धमकी से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।”
लावरोव ने कहा कि रूस पर पहले से ही कई तरह के पश्चिमी प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था ने इनका मजबूती से सामना किया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की 50 दिन वाली डेडलाइन भी किसी “राजनीतिक नाटक” से कम नहीं है।
🟨 “50 दिन वाली बात समझ से परे है”
लावरोव ने ट्रंप की समयसीमा पर तंज कसते हुए कहा:
“पहले 24 घंटे की डेडलाइन दी जाती थी, फिर 100 दिन की… अब 50 दिन। ये सब सिर्फ दिखावा है।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरफ से समय-समय पर इस तरह की “अस्पष्ट और असंगत डेडलाइन” दी जाती रही हैं, जिनका कोई व्यावहारिक आधार नहीं होता।
🟦 SCO देशों का रुख: ईरान के साथ खड़े
SCO बैठक में एक और बड़ी बात यह रही कि ईरान के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को लेकर सभी सदस्य देशों ने एक स्वर में समर्थन जताया। लावरोव ने बताया कि:
“हमारे सभी सदस्य देशों ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के अधिकार को वैध माना और उसके उपयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।”
ईरान का यह परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति और औद्योगिक विकास के लिए है। इसका किसी सैन्य उद्देश्य से कोई लेना-देना नहीं है।
🟧 क्या है SCO और उसके सदस्य?
Shanghai Cooperation Organization (SCO) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसमें अब 10 स्थायी सदस्य देश हैं:
- भारत
- चीन
- रूस
- पाकिस्तान
- ईरान
- कजाखस्तान
- उज्बेकिस्तान
- किर्गिस्तान
- ताजिकिस्तान
- बेलारूस
2025 में SCO की अध्यक्षता चीन के पास है और यह बैठक चीन के तिआंजिन शहर में हुई थी।
🔷 भारत का रुख: आतंकवाद पर सख्त संदेश
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक में पहलगाम हमले का मुद्दा उठाते हुए आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि:
“आतंकवाद सिर्फ एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा है।”
जयशंकर ने सभी SCO देशों से आग्रह किया कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम किया जाए और जो देश इसे पनाह देते हैं, उनकी पहचान की जाए।
🟫 चीन और रूस की दोस्ती फिर उजागर
बैठक में यह भी देखने को मिला कि चीन और रूस की दोस्ती पहले से भी ज्यादा मजबूत होती जा रही है। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने कई मुद्दों पर साझा बयान दिए और अमेरिका की एकतरफा नीतियों की आलोचना की।
चीन ने भी ट्रंप की “टैरिफ धमकी” को अनुचित और अव्यवहारिक बताया।
🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस बयान पर अमेरिका के भीतर भी दो मत हैं:
- कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान 2024 राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की रणनीति हो सकती है।
- वहीं कुछ अर्थशास्त्रियों ने चेताया है कि इस तरह की नीति से वैश्विक व्यापार प्रणाली पर बुरा असर पड़ सकता है।
📝 निष्कर्ष
SCO की 2025 की बैठक ने स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका की धमकियों का अब दुनिया पर पुराना असर नहीं रहा। रूस ने ट्रंप की धमकी को सिरे से खारिज कर एक सख्त संदेश दिया है। साथ ही SCO देशों का ईरान को समर्थन यह भी दर्शाता है कि ये देश अब विकास और आत्मनिर्भरता की ओर मिलकर बढ़ना चाहते हैं।
SCO अब सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि एक सामूहिक वैश्विक दृष्टिकोण का प्रतीक बनता जा रहा है।
📌 प्रमुख बिंदु संक्षेप में:
- ट्रंप ने रूस पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी
- लावरोव बोले: “हमें फर्क नहीं पड़ता, पहले भी झेले हैं प्रतिबंध”
- SCO देशों ने ईरान के परमाणु ऊर्जा अधिकार का समर्थन किया
- भारत ने पहलगाम हमले का मुद्दा उठाया
- चीन और रूस की दोस्ती और मजबूत होती दिखी
- ट्रंप की डेडलाइन को बताया गया “राजनीतिक नाटक”
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