2006

2006 Mumbai Train Blast: हाईकोर्ट से बरी हुए 12 आरोपी, सुप्रीम कोर्ट में जाएगी महाराष्ट्र सरकार

2006 में मुंबई लोकल ट्रेन नेटवर्क पर हुए सिलसिलेवार बम धमाके आज भी हर भारतीय के दिल में खौफ की तरह बसे हैं। इस आतंकी हमले में 187 निर्दोष लोगों की जान गई और 800 से ज्यादा घायल हुए। सालों की जांच, अदालतों की कार्यवाही और जेल की सलाखों के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस में नया मोड़ ला दिया है।

🔍 हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला

Bombay High Court ने हाल ही में 12 दोषियों को बरी कर दिया है जिन्हें पहले निचली अदालत ने मौत या आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले से न केवल कानूनी हलकों में बल्कि आम जनता में भी बहस छिड़ गई है। High Court की दो जजों की बेंच ने अभियोजन पक्ष की जांच और सबूतों की प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि गवाही, पहचान परेड और सबूतों की वैधता पर गंभीर सवाल हैं।

जजों ने कहा कि prosecution की जांच में कई procedural lapses थे। कोर्ट ने 12 दोषियों को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है।

🗣️ CM Devendra Fadnavis का बयान

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा:

“यह फैसला चौंकाने वाला है। हम इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। 2006 के ट्रेन धमाके भारत के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक हैं। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।”

फडणवीस ने आगे कहा कि राज्य सरकार कानूनी सलाह लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।


🔁 पूरा मामला: 2006 के धमाकों की कहानी

📅 तारीख: 11 जुलाई 2006

शाम के 6:24 बजे से लेकर 6:35 तक, मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के अंतराल में 7 धमाके हुए।
लोग ऑफिस से घर लौट रहे थे जब Western Railway के अलग-अलग ट्रेनों में विस्फोट हुए।

🧨 धमाकों की प्रकृति

जांच में सामने आया कि बम pressure cookers में बनाए गए थे, जिनमें RDX और ammonium nitrate जैसे उच्च क्षमता वाले विस्फोटक भरे गए थे। बमों में टाइमर लगे थे जो ट्रेन में यात्रा के दौरान ही फट गए।

📍 धमाके इन स्टेशनों पर हुए:

  • Matunga
  • Mahim
  • Bandra
  • Khar
  • Jogeshwari
  • Borivali
  • Mira Road

धमाकों ने ना केवल 187 लोगों की जान ली, बल्कि Mumbai के public transport system और psyche को हिला कर रख दिया।


⚖️ Lower Court का फैसला और High Court की समीक्षा

🔒 Lower Court (Special MCOCA Court):

2015 में MCOCA (Maharashtra Control of Organised Crime Act) की विशेष अदालत ने:

  • 5 आरोपियों को death sentence
  • 7 को life imprisonment की सजा सुनाई

इन पर हत्या, आपराधिक साजिश, और आतंकवादी गतिविधियों के तहत मुकदमा चला।

📜 High Court की Observations:

2025 में High Court ने कहा:

  • Identification parade में खामियां थीं।
  • गवाहों की गवाही inconsistent थी।
  • कई सबूतों की chain of custody संदेहास्पद थी।
  • ATS और पुलिस की जांच प्रक्रियाएं flawed थीं।

कोर्ट ने prosecution की approach को “unsatisfactory and insufficient to uphold conviction beyond reasonable doubt” बताया।


👨‍⚖️ किन लोगों को बरी किया गया?

☠️ Death Sentence पाने वाले:

  1. कमाल अंसारी
  2. मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख
  3. एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी
  4. नावीद हुसैन खान
  5. आसिफ खान

🕛 Life Imprisonment पाने वाले:

  1. तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी
  2. मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी
  3. शेख मोहम्मद अली आलम शेख
  4. मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी
  5. मुजम्मिल अताउर रहमान शेख
  6. सुहैल महमूद शेख
  7. जमीन अहमद लतीउर रहमान शेख

इन सभी को अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।


📌 गिरफ्तारियों के बाद की कहानी

👤 वाहिद शेख

इस केस में एक मात्र व्यक्ति जिसे 2015 में ही बरी कर दिया गया था। लेकिन वह पहले ही 9 साल जेल में बिता चुका था। वाहिद शेख ने जेल से निकलने के बाद कई बार अपनी बेगुनाही की कहानी साझा की थी और इस केस की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे।


🧑‍⚖️ न्याय की विडंबना और सवाल

❓अगर आरोपी बरी हो गए, तो दोषी कौन?

इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या इतने बड़े आतंकी हमले में कोई भी जिम्मेदार नहीं?

  • क्या पुलिस ने गलत लोगों को पकड़ लिया था?
  • या क्या अभियोजन पक्ष अपना केस सही से साबित नहीं कर पाया?
  • क्या असली गुनहगार अब भी आजाद घूम रहे हैं?

ये सवाल सिर्फ कोर्ट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज में चर्चा और चिंता का विषय बन गए हैं।


🗨️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

🗣️ Asaduddin Owaisi

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछा:

“अब जब High Court ने आरोपियों को बरी कर दिया है, तो क्या ATS और पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी जिन्होंने इनकी जिंदगी के इतने साल जेल में बर्बाद कर दिए?”

📢 Social Media Reactions

  • कई लोगों ने फैसले को न्याय का मजाक बताया।
  • कुछ ने न्यायपालिका की निष्पक्षता को सराहा।
  • आतंकवाद पीड़ित परिवारों ने दुख और गुस्से का इज़हार किया।

🔮 आगे की राह: सुप्रीम कोर्ट की चुनौती

राज्य सरकार अब इस फैसले को Supreme Court में चुनौती देने की तैयारी में है। Devendra Fadnavis ने साफ कहा कि सरकार victims और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन Supreme Court में केस कितना मजबूत होगा, यह prosecution की अगली strategy पर निर्भर करेगा।


📚 निष्कर्ष (Conclusion)

2006 के मुंबई ट्रेन धमाके भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक पलों में से एक हैं। इस केस में बरी हुए 12 आरोपी अब कानूनी तौर पर निर्दोष घोषित किए गए हैं, लेकिन इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या हमें न्याय मिला या सिस्टम ने एक बार फिर आम आदमी को निराश किया?

आने वाले दिनों में Supreme Court का फैसला इस कहानी में नया मोड़ ला सकता है। लेकिन तब तक यह बहस जरूर जारी रहेगी — क्या भारत का न्याय तंत्र आतंक के मामलों में भी सही काम कर रहा है?



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