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भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए ITR भरने की अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 तय की है। इस गाइड में जानिए वे 10 आम गलतियां जिनसे बचकर आप पेनल्टी, सूचना, और अन्य परेशानियों से खुद को बचा सकते हैं।
1. गलत ITR फॉर्म का चयन
- सही फॉर्म का चयन क्यों ज़रूरी?
हर टैक्सपेयर्स के लिए इनकम, प्रोफेशन, और अन्य पैमानों के अनुसार भिन्न फॉर्म होते हैं। - उदाहरण:
यदि आपकी सैलरी ₹50 लाख से कम, एक ही प्रॉपर्टी, और अन्य आय नहीं है, तो ITR-1 (सहज) चुनें। - आम त्रुटि:
कई लोग अतिरिक्त आय (FD, शेयर आदि) छिपाकर ITR-1 चुन लेते हैं, जिससे defect notice मिल सकता है। - विवरण तालिका:
ITR फॉर्म | योग्यता |
---|---|
ITR-1 | सैलरी/पेंशन, एक घर, ₹50 लाख तक |
ITR-2 | विखंडित आय, हाउस प्रॉपर्टी, ₹50 लाख+ |
ITR-3 | बिजनेस/प्रोफेशन/फर्म/डायरेक्टर |
ITR-4 | Presumptive income, फर्म/व्यक्ति/एचयूएफ, ₹50 लाख तक |
2. ITR का सत्यापन (E-Verification) न करना
- क्या है सत्यापन?
रिटर्न भरते ही OTP या आधार ई-वीरिफिकेशन ज़रूरी है। - क्या होगा अगर न करें?
रिटर्न मान्य नहीं मानी जाएगी—देर या अमान्य सत्यापन पर पेनल्टी या रिटर्न अस्वीकार संभव है। - टिप्स:
- आधार बेस्ड OTP तुरंत करें।
- नेट बैंकिंग, डीमैट या बैंक अकाउंट विकल्प भी उपलब्ध।
- उदाहरण: अन-वेरिफाइड ITR = न भरी हुई रिटर्न के समान।
3. आकलन वर्ष (Assessment Year) गलत डालना
- क्या होता है?
आय का वर्ष व आकलन वर्ष अलग होते हैं:- FY 2024-25 की आय का AY 2025-26 होता है।
- आम भूल:
कई लोग फाइनेंशियल ईयर वाला वर्ष डाल देते हैं, जिससे पेनल्टी लगती है। - समाधान:
हर बार सब्मिशन से पहले सही AY जांचें—AY 2025-26।
4. गलत व्यक्तिगत विवरण भरना
- गलत विवरण:
नाम, पता, PAN, मोबाइल, बैंक डिटेल्स, इत्यादि में छोटी-सी गलती भी भारी पड़ सकती है। - परिणाम:
- रिफंड फंसी रहती है।
- नोटिस, डिले, या पैनल्टी हो सकती है।
- सुझाव:
हर स्क्रिन पर भरे गए डिटेल्स को दोबारा जांचें।
5. आय की पूरी जानकारी न देना
- आम Income Source:
सेलरी, FD/सेविंग ब्याज, हाउस रेंट, कैपिटल गेन, फ्रीलांस आदि। - त्रुटि:
आय का कोई भाग छुपाना टैक्स चोरी है, पकड़े जाने पर भारी पेनल्टी और ब्याज लग सकता है। - स्टैटिस्टिक्स:
2024 में, 23% टैक्सपेयर्स ने कोई न कोई इनकम मिस की। - टिप्स:
AIS/26AS, Form 16/16A, बैंक स्टेटमेंट्स से मिलान ज़रूरी है।
6. ITR फॉर्मेट का पालन न करना
- क्यों ज़रूरी?
फॉर्मेटिंग में गलती से इनकम क्लासिफिकेशन, डिडक्शन, टैक्स कैलकुलेशन गड़बड़ हो जाती है। - उदाहरण:
चूक जाने पर सिस्टम ऑटो-रीजेक्ट/डिफेक्ट नोटिस भेज सकता है। - सुझाव:
आधिकारिक पोर्टल का डेमो या गाइड जरूर पढ़ें।
7. टैक्स रेजीम (पुरानी/नई) का गलत चयन
- दो रेजीम:
- पुराना: डिडक्शन-एलिजिबल (80C, 80D, HRA, LTA)
- नया: Low rates, limited डिडक्शन, Default
- गलत चयन मतलब:
जरूरी बेनिफिट्स का नुकसान या टैक्स ज़्यादा। - 2025 स्लैब उदाहरण:
इनकम (₹) | नया टैक्स रेट | पुराना टैक्स रेट (लगभग) |
---|---|---|
4L तक | NIL | NIL |
4-8L | 5% | 5-20% |
8-12L | 10% | 20% |
12-16L | 15% | 30% |
16-20L | 20% | 30% |
20-24L | 25% | 30% |
24L+ | 30% | 30% |
8. Tax छूट (Exemption) का क्लेम भूल जाना
- केस:
- रियल एस्टेट कैपिटल गेन रीइन्वेस्टमेंट (Sec 54, 54EC, 54F आदि)
- एडुकेशन लोन, एनपीएस, HRA छूट आदि।
- आम त्रुटि:
रीइन्वेस्टमेंट के बावजूद एक्जेम्पशन क्लेम न करना। - समाधान:
टैक्स फाइलिंग के समय, सभी दस्तावेज़ अपलोड करें और छूट को अच्छी तरह जोड़ें।
9. आयकर विभाग की सूचना (Notice) को नजरअंदाज करना
- नोटिस के प्रकार:
- इंफॉर्मेशन मिसमैच
- रिफंड डिले
- सहायक दस्तावेज़ की मांग
- तमाम नोटिस इग्नोर करने पर:
- सुझाव:
Income Tax Portal और ईमेल/एसएमएस नियमित चेक करें।
10. एडवांस टैक्स न भरना
- क्या है एडवांस टैक्स?
अगर सालाना टैक्स लाइबिलिटी ₹10,000+ है तो आपको चार किश्तों में टैक्स देना अनिवार्य है— - कौन भरे?
बिज़नेस, फ्रीलांसर, फ्लैट ओनर, FD वाले सेलरीड - फायदा:
ब्याज (1% प्रति माह) और पेनल्टी से बचाव। - आम गलती:
केवल TDS पर निर्भर रहना, जिससे बाकी टैक्स छूट जाता है।
Bullet Points—एक नजर में 10 बड़ी गलतियां
- गलत फॉर्म चयन
- ITR वेरिफिकेशन भूलना
- गलत AY दर्ज करना
- व्यक्तिगत जानकारी में गलती
- इनकम छिपाना/ग़लत डिक्लेयर करना
- फॉर्मेटिंग गड़बड़ी
- गलत टैक्स रेजीम का चयन
- क्लेम फॉरगेट करना
- नोटिस को इग्नोर करना
- एडवांस टैक्स न भरना
FAQs
Q1. क्या अगर मेरी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो भी ITR फाइल करनी जरूरी है?
अगर आपकी इनकम कुल ₹2.5 लाख (पुराना) या ₹3 लाख (नया रेजीम) से ज्यादा है तो ITR फाइल करना अनिवार्य है, चाहे टैक्स न कटे।
Q2. रिटर्न ऑडिट कब जरूरी है?
अगर आपके कारोबार/बिजनेस की ग्रॉस रसीदें खास सीमा के ऊपर हैं तभी ऑडिट अनिवार्य है—वरना नहीं।
Q3. रिटर्न फाइलिंग लेट होने पर क्या पेनल्टी लगती है?
हाँ, देर से फाइलिंग पर ₹5,000 तक पेनल्टी (छोटे इनकम के लिए ₹1,000), और टैक्स बकाया पर प्रति माह 1% ब्याज लगता है।
Q4. टैक्सपेयर्स के लिए सबसे अच्छा टैक्स रेजीम कौन सा है?
निजी परिस्थिति (इनकम, इनवेस्टमेंट, परिवार) अनुसार अलग-अलग; दोनों रेजीम की तुलना करके ही चुनें।
Q5. रिफंड में देरी क्यों होती है?
बैंक डिटेल्स में गलती, इनकम मिसमैच, या रिटर्न वेरिफिकेशन न करना रिफंड डिले का कारण है।
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