Jagdeep Dhankhar

Vice President Resigns: उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar ने स्वास्थ्य कारणों से दिया पद से इस्तीफा

नई दिल्ली: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों (Health Reasons) का हवाला देते हुए कहा कि वे डॉक्टरों की सलाह के अनुरूप यह निर्णय ले रहे हैं। यह इस्तीफा उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत दिया है और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।


🏛️ इस्तीफे में जताया आभार: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसदों का किया धन्यवाद

धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा,

“मैं भारत की माननीय राष्ट्रपति को हार्दिक धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान मुझे सहयोग और शांतिपूर्ण कार्य संबंध प्रदान किया। यह मेरे लिए बेहद सुखद अनुभव रहा।”

उन्होंने आगे लिखा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरी मंत्रिपरिषद से जो सहयोग प्राप्त किया, वह उनके लिए अमूल्य रहा। उपराष्ट्रपति ने कहा:

“मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का आभार प्रकट करता हूं। प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन मेरे लिए प्रेरणास्रोत रहा है।”


👥 सांसदों से मिला ‘स्नेह और अपनापन’

धनखड़ ने सांसदों का भी खास तौर पर उल्लेख किया और कहा कि उन्हें जिस स्नेह, विश्वास और अपनापन से नवाजा गया, वह उनकी स्मृति में हमेशा अंकित रहेगा।
उन्होंने कहा:

“मुझे सांसदों से जो प्रेम और विश्वास मिला, वह मेरे लिए सदा के लिए अमूल्य रहेगा।”


🌍 ‘भारत की प्रगति का साक्षी बनना गर्व की बात’

उपराष्ट्रपति ने अपने इस्तीफे में यह भी लिखा कि यह उनके लिए गर्व और सम्मान की बात रही कि वह भारत की अभूतपूर्व प्रगति के दौर का हिस्सा बने।

“इस महत्वपूर्ण कालखंड में भारत की असाधारण आर्थिक प्रगति और वैश्विक विकास का साक्षी बनना मेरे लिए संतोष और गौरव की बात रही है।”

उन्होंने यह भी लिखा कि भारत के वैश्विक नेतृत्व की भूमिका, तकनीकी उन्नति, आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदमों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में योगदान देना एक सौभाग्य रहा।


🧑‍⚖️ वकील से उपराष्ट्रपति तक: Jagdeep Dhankhar का सफर

उपराष्ट्रपति बनने से पहले Jagdeep Dhankhar एक सफल वकील और राजनीतिक व्यक्ति रहे हैं। पेशे से वकील, धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई राजस्थान यूनिवर्सिटी से की और बाद में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की।

🧭 राजनीतिक सफर की शुरुआत

धनखड़ ने राजनीति में जनता दल से शुरुआत की और 1989 में झुंझुनूं लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। वे चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए और विभिन्न संवैधानिक पदों पर रहे।


🏛️ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में योगदान

उपराष्ट्रपति चुने जाने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल (Governor of West Bengal) के रूप में कार्यरत थे। इस दौरान उनकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कई बार तीखी राजनीतिक और वैचारिक बहसें भी हुईं, लेकिन वे संवैधानिक मर्यादाओं के तहत अपने दायित्वों का पालन करते रहे।


🤝 उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

धनखड़ को 6 अगस्त 2022 को भारत का 14वां उपराष्ट्रपति चुना गया था। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक निर्धारित था, लेकिन उन्होंने उससे दो साल पहले ही पद छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा के सभापति (Chairman of Rajya Sabha) के रूप में भी प्रभावशाली भूमिका निभाई।


📜 संविधान के तहत इस्तीफा

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धनखड़ ने संविधान के Article 67(a) के तहत अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजा। इस अनुच्छेद के तहत उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को अपने हाथ से लिखित इस्तीफा देकर पद छोड़ सकता है।


🩺 स्वास्थ्य कारणों को बताया प्राथमिकता

धनखड़ ने अपने इस्तीफे में कहा कि डॉक्टरों की सलाह के अनुरूप वे अब स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। यह स्पष्ट करता है कि उन्होंने यह निर्णय व्यक्तिगत स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया है, ना कि किसी राजनीतिक दबाव या विवाद के कारण।


🗣️ राजनेताओं की प्रतिक्रियाएं

धनखड़ के इस्तीफे के बाद से विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा: “जगदीप जी ने उपराष्ट्रपति के रूप में उत्कृष्ट सेवा दी। उनका अनुभव, ज्ञान और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता सदैव प्रेरणादायी रहेगी। उनके स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”
  • कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा: “धनखड़ जी का इस्तीफा अप्रत्याशित है, लेकिन हम उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के निर्णय का सम्मान करते हैं।”
  • TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने भी ट्वीट कर कहा कि “हमारे मतभेद रहे लेकिन उनकी संवैधानिक प्रतिबद्धता प्रशंसनीय रही।”

🧾 अब क्या होगा आगे?

धनखड़ के इस्तीफे के बाद, भारत को नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। चुनाव आयोग इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा। तब तक राष्ट्रपति के निर्देशानुसार किसी वरिष्ठ नेता को कार्यवाहक उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है या राज्यसभा के उपसभापति विशेष जिम्मेदारी निभा सकते हैं।


🧩 उपराष्ट्रपति का संवैधानिक और राजनीतिक महत्व

भारत में उपराष्ट्रपति न केवल राष्ट्र के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर होता है, बल्कि वह राज्यसभा का सभापति भी होता है। किसी आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति को कार्यभार संभालना पड़ता है।


📌 Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा क्यों है ऐतिहासिक?

  1. पूर्ण कार्यकाल से पहले इस्तीफा देना – अब तक बहुत कम उपराष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले त्यागपत्र दिया है।
  2. स्वास्थ्य कारणों को देना प्रमुख वजह – यह स्पष्ट करता है कि राजनीतिक जीवन में भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य को अहमियत दी जा रही है।
  3. वर्तमान राजनीतिक और वैश्विक संदर्भ में बदलाव – भारत जिस वैश्विक भूमिका की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में उपराष्ट्रपति का इस्तीफा एक नई प्रक्रिया की शुरुआत करता है।

📝 निष्कर्ष (Conclusion)

Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जहां एक ओर उन्होंने संवैधानिक गरिमा बनाए रखी, वहीं दूसरी ओर उन्होंने व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए इस्तीफा देकर उदाहरण पेश किया। भारत अब एक नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की ओर बढ़ रहा है, जो न सिर्फ राज्यसभा का सभापति होगा, बल्कि राष्ट्रीय नीतियों में भी अपनी छाप छोड़ेगा।


📌 FAQs

Q1. उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar ने इस्तीफा क्यों दिया?
Ans: उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है।

Q2. उनका कार्यकाल कब समाप्त होने वाला था?
Ans: उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने जुलाई 2025 में इस्तीफा दे दिया।

Q3. क्या नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा?
Ans: हां, चुनाव आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगा।

Q4. उपराष्ट्रपति का कार्य क्या होता है?
Ans: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यभार संभालते हैं।

Q5. Jagdeep Dhankhar पहले क्या थे?
Ans: वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और पेशे से वकील थे।



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