क्या आप कभी ये सोचते हैं कि आपका डॉगी क्यों गुस्से में है या बिल्ली बार-बार म्याऊं क्यों कर रही है? शायद अब आपको इसका जवाब AI देगा। क्योंकि अब Artificial Intelligence आपकी पालतू जानवरों की body language, भावनाएं और साउंड्स को decode करके बता सकेगा कि वो क्या कहना चाह रहे हैं।
🔍 London में बन रहा दुनिया का पहला Animal Language Centre
ब्रिटेन की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी London School of Economics and Political Science (LSE) ने एक नया और अनोखा सेंटर लॉन्च किया है:
Jeremy Coller Centre for Animal Sentience, जिसकी शुरुआत 30 सितंबर 2025 से होगी।
इस सेंटर का मकसद है – जानवरों की चेतना, भावना और संवाद क्षमता को AI की मदद से समझना और इंसानों तक पहुंचाना।
💡 क्या है “Animal Sentience”?
“Sentience” का मतलब होता है किसी जीव के पास महसूस करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता होना।
इस प्रोजेक्ट में सिर्फ कुत्ते या बिल्लियां ही नहीं, बल्कि कीड़े-मकोड़े (insects), समुद्री जीव जैसे कटलफिश और झींगे भी शामिल होंगे। यानी project का vision है: “हर प्राणी की आवाज़ को सुनना और समझना।”
🔬 कौन-कौन कर रहा है इस प्रोजेक्ट पर काम?
इस सेंटर में दुनिया भर से अलग-अलग fields के experts साथ मिलकर काम कर रहे हैं:
- AI Scientists
- Neuroscientists
- Veterinary Doctors
- Philosophers
- Biologists
- Psychologists
- Computer Scientists
- Law & Ethics Experts
इन्हें एक साथ लाने के लिए करीब 4 मिलियन पाउंड (₹42 करोड़ रुपये) का बजट तय किया गया है।
🧠 AI कैसे समझेगा जानवरों की भाषा?
AI के ज़रिए जो टूल्स और एप्लिकेशन डेवलप किए जा रहे हैं, वो काम करेंगे कुछ इस तरह:
- Body Language Tracking: जानवर की पूंछ, कान, आंखों और शरीर की हरकत को AI पढ़ेगा।
- Voice Tone Analysis: म्याऊं, भौंकना, गुर्राना जैसी आवाज़ों के frequency और pitch को एनालाइज़ करेगा।
- Emotion Detection Algorithms: डर, खुशी, तनाव, दर्द जैसी भावनाओं को identify करने के लिए विशेष neural networks इस्तेमाल होंगे।
- Real-time Alerts & Translation: मोबाइल ऐप के ज़रिए pet parents को real-time में alerts मिलेंगे कि उनके जानवर का मूड क्या है।
🐶 क्या होगा जब कुत्ता बोलेगा – “Take me out for a walk”?
Imagine कीजिए: सुबह 7 बजे आपका फोन बोले – “Tommy wants to go for a walk!”
या फिर रात में notification आए – “Lucy feels anxious. Hug her.”
AI-powered devices की मदद से future में ऐसा होना मुमकिन है। ये तकनीक pet lovers के लिए blessing साबित हो सकती है।
⚠️ लेकिन क्या ये तकनीक 100% सही होगी?
इस सेंटर के Director Professor Jonathan Birch ने कहा:
“AI एक powerful tool है, लेकिन इसकी limitations भी हैं। अगर कोई ऐप यह बोले कि आपका कुत्ता खुश है, इसका यह मतलब नहीं कि वह सच में खुश है। ये सिर्फ डेटा interpretation है, absolute truth नहीं।”
AI कुछ extent तक emotions समझ सकता है, लेकिन भावनाएं subjective होती हैं और कई बार context-based होती हैं।
🌐 भविष्य में इंसान-पशु संवाद कैसा होगा?
वर्तमान | भविष्य (AI युग) |
---|---|
इंसान केवल gestures समझता है | इंसान जानवरों की भाषा को real-time translate कर पाएगा |
डॉगी भौंकता है, मालिक अंदाजा लगाता है | डॉगी भौंकेगा, ऐप बताएगा – “मैं भूखा हूं” |
म्याऊं का मतलब unclear | AI बताएगा – “बिल्ली उदास है, उसे company चाहिए” |
🐾 कौन-कौन से जानवर शामिल हैं रिसर्च में?
- 🐶 कुत्ते (Dogs)
- 🐱 बिल्लियां (Cats)
- 🐟 मछलियां (Fish)
- 🦐 झींगे (Shrimps)
- 🐜 कीड़े (Insects)
- 🐙 कटलफिश (Cuttlefish)
- 🦜 पक्षी (Birds)
हर जीव की भाषा अलग है, लेकिन AI का सपना है – हर जीव को समझना।
📱 क्या मिलेगा पेट पेरेंट्स को?
✅ Real-time Mood Translator App
जानवर कैसा महसूस कर रहा है, वो आपको ऐप के ज़रिए पता चलेगा।
✅ Health Alert System
अगर जानवर को दर्द या बीमार होने का संकेत AI detect करता है, तो आपको पहले ही alert मिलेगा।
✅ Emotion Log
जानवर हर दिन कैसा महसूस करता है, इसका weekly graph बनेगा – stress level, play time, rest time आदि।
🧬 AI + Neuroscience का कमाल
AI algorithms और न्यूरोइमेजिंग टेक्नोलॉजी का यूज़ करके वैज्ञानिक अब जानवरों के दिमाग की structure और processing pattern को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए:
- कुत्तों का दिमाग इंसानों की तरह oxytocin hormone रिलीज़ करता है जब उन्हें प्यार किया जाता है।
- बिल्ली जब सिर रगड़ती है, तो वो affection और ownership दोनों दर्शाती है।
AI अब इन signals को process करेगा और बताएगा – “Why your pet behaves the way it does.”
🧑⚖️ नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं
AI के आने से कुछ ethical concerns भी हैं:
- क्या AI द्वारा detect की गई भावना always correct है?
- अगर कोई AI बताए कि जानवर दुखी है, तो क्या कानूनन हमें उसका इलाज करना होगा?
- क्या इसका misuse भी हो सकता है – जैसे fake emotions दिखाकर products बेचना?
इन विषयों पर कानून और नीति निर्धारकों को विचार करना होगा।
🌍 ग्लोबल इम्पैक्ट: सिर्फ पालतू जानवर नहीं, वाइल्ड एनिमल्स भी
यह तकनीक न केवल pet owners के लिए helpful होगी, बल्कि:
- Wildlife Conservation: जानवरों की समस्याएं AI से पहले detect होंगी।
- Zoo Management: Zoo में जानवर की boredom या stress level को ट्रैक किया जा सकेगा।
- Animal Cruelty Detection: अगर किसी जानवर को दर्द हो रहा है, तो वो AI से पहचान में आ जाएगा।
🤖 क्या भविष्य में इंसान और जानवर एक-दूसरे से बात कर पाएंगे?
हो सकता है कि अगले 10-20 सालों में हम अपने डॉगी या तोते से बात कर रहे हों और वो जवाब भी दे रहे हों – AI translator की मदद से।
जैसे:
- “Tommy, क्या तुम थके हुए हो?”
➡️ “Yes, मुझे आराम चाहिए।” - “Kitty, क्या तुम नाराज़ हो?”
➡️ “No, बस थोड़ी अकेली महसूस कर रही हूं।”
🏁 निष्कर्ष (Conclusion)
Jeremy Coller Animal Sentience Centre एक ऐसा अनोखा कदम है जो इंसान और जानवरों के रिश्ते को redefine कर सकता है। यह केवल टेक्नोलॉजी की जीत नहीं, बल्कि संवेदनाओं की नई भाषा गढ़ने की शुरुआत है।
AI अब सिर्फ रोबोट नहीं बनाएगा, बल्कि इंसानों को अपने सबसे प्यारे साथी – जानवरों – की दुनिया को समझने में मदद करेगा।
📌 FAQs
Q1. Jeremy Coller Centre for Animal Sentience कब शुरू हो रहा है?
📅 इसका शुभारंभ 30 सितंबर 2025 को लंदन में होगा।
Q2. क्या AI जानवरों की असली भावना समझ सकता है?
AI अनुमान लगाता है, 100% सटीकता नहीं होती, लेकिन यह इंसानों को ज्यादा समझने में मदद करता है।
Q3. क्या इसमें केवल पालतू जानवर शामिल हैं?
नहीं, इसमें कुत्तों और बिल्लियों के साथ-साथ कीड़े, मछलियां और समुद्री जीव भी रिसर्च में शामिल हैं।
Q4. इस प्रोजेक्ट का बजट कितना है?
इस AI-सेंटर को 4 मिलियन पाउंड (करीब 42 करोड़ रुपये) की लागत से तैयार किया जा रहा है।
Q5. क्या यह तकनीक आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी?
हां, भविष्य में मोबाइल ऐप्स और AI डिवाइसेज़ के रूप में ये तकनीक आम जनता तक पहुंचेगी।
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