भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन जुलाई 2025 में इस सेक्टर को एक बड़ा झटका लग सकता है। इसकी वजह है चीन से आने वाले Rare Earth Magnets की आपूर्ति में बाधा। ये मैग्नेट्स EV (Electric Vehicle) की ट्रैक्शन मोटर में इस्तेमाल होते हैं, और बिना इनके EV का निर्माण मुश्किल हो जाता है।
बजाज, एथर एनर्जी और टीवीएस जैसी दिग्गज कंपनियों को जुलाई में अपना उत्पादन घटाना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संकट लंबा चला, तो EV सेक्टर की विकास दर धीमी हो सकती है।
📉 क्या हैRare-earth magne संकट?
रेयर अर्थ मैग्नेट्स, जैसे कि Neodymium और Dysprosium, इलेक्ट्रिक वाहनों में ट्रैक्शन मोटर की कोर टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होते हैं। ये मैग्नेट्स अधिक पावर डेंसिटी और एफिशिएंसी प्रदान करते हैं। भारत जैसे देश, जो इन मैग्नेट्स के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हैं, उन्हें चीन से आयात करना पड़ता है।
2025 की शुरुआत से चीन ने अपने निर्यात कोटा और परमिट सिस्टम को सख्त बना दिया है। इसका असर अब भारत की EV कंपनियों पर साफ़ दिखने लगा है।
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🔧 इन कंपनियों पर पड़ा असर
1. Bajaj Auto
भारत की दूसरी सबसे बड़ी EV टू-व्हीलर निर्माता कंपनी, बजाज ऑटो जुलाई में अपनी EV स्कूटर उत्पादन क्षमता का लगभग 50% कम करने जा रही है। बजाज का Chetak Electric Scooter भारतीय बाजार में काफी लोकप्रिय है, लेकिन इसकी मैन्युफैक्चरिंग मैग्नेट की उपलब्धता पर निर्भर है।
2. Ather Energy
Ather, जो भारत के प्रीमियम EV स्कूटर सेगमेंट में बड़ा नाम है, जुलाई में 8-10% तक प्रोडक्शन कट की योजना बना रहा है। कंपनी के 450X और 450S मॉडल में उन्नत ट्रैक्शन मोटर का इस्तेमाल होता है, जिसमें Rare Earth Magnets अनिवार्य हैं।
3. TVS Motors
TVS, जिसकी iQube सीरीज EV सेगमेंट में लगातार बढ़ रही है, उसे भी इस संकट के चलते उत्पादन कम करना पड़ सकता है। TVS पिछले तीन महीनों से EV बिक्री में टॉप पर बनी हुई है, लेकिन अब सप्लाई चेन में बाधा के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
🇮🇳 भारत सरकार की प्रतिक्रिया
SIAM की चेतावनी
Society of Indian Automobile Manufacturers (SIAM) ने पहले ही अप्रैल 2025 में चेतावनी दी थी कि अगर चीन की सप्लाई में सुधार नहीं हुआ, तो भारत में EV सेक्टर की विकास दर को झटका लग सकता है।
विदेश मंत्रालय और उद्योग विभाग सक्रिय
भारत सरकार ने चीन के साथ उच्च स्तर पर वार्ता शुरू की है। विदेश मंत्रालय और उद्योग मंत्रालय संयुक्त रूप से चीन से Rare Earth सप्लाई की बहाली पर काम कर रहे हैं।
वैकल्पिक सप्लायर्स की खोज
भारत अब वियतनाम, इंडोनेशिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से Rare Earth Magnets और एलिमेंट्स आयात करने की संभावना पर काम कर रहा है। हालांकि, इन देशों के साथ लॉजिस्टिक और कॉन्ट्रैक्ट संबंधी समस्याएं हैं, जिससे सप्लाई शुरू होने में समय लग सकता है।
📊 EV मार्केट की मौजूदा स्थिति
2025-26 के पहले तिमाही आंकड़ों के अनुसार:
- EV टू-व्हीलर बिक्री: 2.98 लाख यूनिट्स
- वृद्धि दर: 34% (YoY)
- मुख्य कंपनियां: TVS, Ather, Bajaj, Ola Electric, Hero Electric
इस ग्रोथ को बनाए रखने के लिए नियमित प्रोडक्शन ज़रूरी है, लेकिन मैग्नेट की कमी इसकी सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आई है।
🌏 Rare Earth Element: क्या हैं और क्यों हैं ज़रूरी?
Rare Earth Element | उपयोग | सप्लाई स्रोत |
---|---|---|
Neodymium | ट्रैक्शन मोटर | चीन |
Dysprosium | मैग्नेट स्थिरता | चीन |
Terbium | पावर जनरेशन में | चीन |
Praseodymium | EV बैटरी और मोटर | चीन |
भारत के पास Rare Earth खनिजों का भंडार है लेकिन उसे प्रोसेस करने की क्षमता बहुत सीमित है।
🔄 भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
1. खदान विकास पर जोर
भारत सरकार ने आंध्र प्रदेश, झारखंड और राजस्थान में Rare Earth खनन परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है।
2. ISRO और DRDO की तकनीकी मदद
ISRO और DRDO जैसे संस्थानों के साथ मिलकर Rare Earth Magnets के घरेलू उत्पादन पर रिसर्च चल रहा है।
3. Make in India के तहत सप्लाई चेन निर्माण
उद्योग विभाग ने ‘Make in India – Critical Minerals’ मिशन की शुरुआत की है जिससे भविष्य में चीन पर निर्भरता घटेगी।
🤖 क्या EV सेक्टर को खतरा है?
यदि Rare Earth की सप्लाई में देरी बनी रहती है:
- EV प्रोडक्शन घटेगा
- कीमतें बढ़ सकती हैं
- ग्राहक डिलीवरी में देरी
- मार्केट ग्रोथ धीमी पड़ सकती है
- निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है
इसलिए यह संकट सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग का ही नहीं, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक खतरे का संकेत भी है।
📈 आने वाले समय में क्या हो सकता है?
Month | EV Production Trend | अनुमानित संकट स्तर |
---|---|---|
जुलाई 2025 | 20-50% प्रोडक्शन घट | उच्च |
अगस्त 2025 | वैकल्पिक सप्लाई आश्रित | मध्यम |
सितंबर 2025 | सप्लाई आंशिक बहाली संभव | कम |
🧠 इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की राय
- Rajiv Bajaj (MD, Bajaj Auto): “हम चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं। अब समय है कि हम वैकल्पिक रास्तों पर निवेश करें।”
- Tarun Mehta (CEO, Ather Energy): “वर्तमान संकट ने दिखाया है कि आत्मनिर्भरता कितनी ज़रूरी है।”
- SIAM प्रवक्ता: “सरकार और उद्योग को मिलकर इस चुनौती से निपटना होगा। सप्लाई चेन का विविधिकरण आवश्यक है।”
🔚 निष्कर्ष: EV रफ्तार में ब्रेक, लेकिन विकल्प भी हैं
EV टू-व्हीलर सेगमेंट भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का भविष्य है। सरकार और कंपनियों की तेजी से कार्यवाही ही इस संकट से उबार सकती है। Rare Earth Magnet की कमी एक चेतावनी है कि हमें टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ना होगा।
यदि सभी पक्ष मिलकर समाधान खोजें, तो यह संकट अवसर में भी बदला जा सकता है। भारत के पास टैलेंट, संसाधन और तकनीकी समझ है—ज़रूरत है, उसे समय रहते सक्रिय रूप से लागू करने की।
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